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बैंकों में ‘सर्वर डाउन’ या सर्वर से जुड़ी समस्याएं आजकल आम हो गई हैं, जिससे ग्राहकों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। इस समस्या के पीछे कई तकनीकी, प्रबंधन और सुरक्षा से जुड़े कारक हो सकते हैं। इस लेख में, हम ‘सर्वर डाउन’ की समस्या के विभिन्न पहलुओं और इसके कारणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

1. बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और पुरानी टेक्नोलॉजी

1.1. पुरानी तकनीक का उपयोग

कई बैंक, विशेषकर बड़े और सरकारी बैंक, अभी भी पुरानी या लिगेसी टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं। इन बैंकों के कोर बैंकिंग सिस्टम (CBS) में सुधार करने के बजाय, इन पर नए फीचर्स और अपग्रेड्स को जोड़ने का प्रयास किया जाता है, जिससे सिस्टम में जटिलता बढ़ जाती है। पुराने सिस्टम पर नए सॉफ्टवेयर या फीचर्स को ठीक से एकीकृत नहीं किया जा सकता, जिससे सर्वर की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।

1.2. स्केलेबिलिटी (Scalability) की समस्या

बैंकिंग में डिजिटल ट्रांजैक्शन के बढ़ते दबाव के कारण सिस्टम का लोड भी तेजी से बढ़ रहा है। अगर सर्वर सिस्टम को ठीक से स्केल नहीं किया गया है, तो यह उच्च ट्रांजैक्शन वॉल्यूम को संभालने में असमर्थ हो सकता है, जिससे सर्वर डाउन हो जाता है। खासकर त्योहारी सीजन, सैलरी के दिन, या विशेष ऑनलाइन ऑफर्स के दौरान ट्रांजैक्शन की संख्या बढ़ जाती है, और सिस्टम अचानक लोड झेलने में असफल हो जाता है।

2. साइबर हमले और सुरक्षा कारण

2.1. डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस (DDoS) हमले

बैंकिंग सर्वर पर किए जाने वाले साइबर हमलों में DDoS अटैक सबसे प्रमुख है। DDoS हमले के तहत हैकर्स सर्वर पर अनगिनत फर्जी रिक्वेस्ट भेजते हैं, जिससे सर्वर ओवरलोड हो जाता है और असली ग्राहकों को सेवा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। DDoS अटैक से सर्वर की क्षमता कम हो जाती है, और सिस्टम को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ता है ताकि हमले से निपटा जा सके।

2.2. साइबर सुरक्षा अपडेट

बैंकिंग संस्थाएं नियमित रूप से अपने सर्वर और नेटवर्क सुरक्षा सिस्टम को अपडेट करती रहती हैं। कभी-कभी इन अपडेट्स के कारण सिस्टम को कुछ समय के लिए बंद करना पड़ता है, जिससे ग्राहक सेवा प्रभावित हो सकती है। यह विशेष रूप से तब होता है जब कोई बड़ा सिक्योरिटी पैच या अपडेट अप्लाई किया जा रहा हो, जो सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक होता है।

2.3. मालवेयर और वायरस अटैक

बैंकिंग सिस्टम में यदि वायरस या मालवेयर का हमला होता है, तो सिस्टम को अस्थायी रूप से बंद करके उसकी सफाई की जाती है। हालांकि, इससे सर्वर डाउन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। बैंक इन हमलों से निपटने के लिए अपने सिस्टम को सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन वायरस या मालवेयर अटैक अचानक आ सकते हैं और सर्वर को अस्थायी रूप से डाउन कर सकते हैं।

3. अनुसूचित रखरखाव (Scheduled Maintenance)

3.1. सिस्टम अपग्रेड और मेंटेनेंस

बैंकिंग सेवाओं की सतत उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए बैंक समय-समय पर अपने सिस्टम का रखरखाव और अपडेट करते हैं। आमतौर पर यह कार्य रात के समय या अवकाश के दौरान किया जाता है ताकि ग्राहकों को कम से कम असुविधा हो। हालांकि, कभी-कभी अनपेक्षित रूप से यह मेंटेनेंस समय बढ़ सकता है या समस्याएं आ सकती हैं, जिससे सर्वर डाउन हो जाता है।

3.2. डेटाबेस की सफाई और बैकअप

बैंकिंग सिस्टम में विशाल डेटाबेस होते हैं, जिनकी नियमित सफाई और बैकअप लिया जाता है। जब बैंक बड़े पैमाने पर डेटा बैकअप या सफाई का काम करते हैं, तो यह प्रक्रिया सिस्टम पर लोड बढ़ा सकती है और सर्वर डाउन की समस्या पैदा कर सकती है। खासकर जब डेटा बहुत अधिक हो, तो इस प्रक्रिया में अधिक समय लगता है।

4. क्लाउड सर्वर और नेटवर्किंग समस्याएँ

4.1. क्लाउड सर्वर की अस्थिरता

आजकल, कई बैंक अपने कोर बैंकिंग सिस्टम को क्लाउड पर स्थानांतरित कर रहे हैं। क्लाउड सेवाएं उपयोगकर्ताओं को अधिक लचीलापन और सुरक्षा प्रदान करती हैं, लेकिन अगर क्लाउड प्रदाता की ओर से कोई तकनीकी समस्या आती है, तो बैंकिंग सेवाओं में बाधा आ सकती है। क्लाउड सर्वर का डाउनटाइम सीधे बैंकिंग सर्वर को प्रभावित कर सकता है।

4.2. नेटवर्क विफलता

सर्वर डाउन की समस्या का एक प्रमुख कारण नेटवर्क विफलता भी है। यदि बैंकिंग सर्वर को नेटवर्क से जोड़ने में कोई समस्या आती है, जैसे इंटरनेट आउटेज, ब्रॉडबैंड सेवा में गड़बड़ी, या डाटा सेंटर के नेटवर्क में किसी प्रकार की विफलता, तो बैंकिंग सेवाएं बाधित हो सकती हैं। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।

5. उपयोगकर्ता लोड और ट्रांजैक्शन वॉल्यूम

5.1. डिजिटल ट्रांजैक्शन में वृद्धि

भारत में डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, खासकर UPI, IMPS और अन्य ऑनलाइन बैंकिंग सेवाओं के कारण। बैंकों के सर्वर पर अत्यधिक ट्रांजैक्शन लोड के कारण सर्वर की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। यदि सिस्टम को समय पर अपग्रेड नहीं किया गया, तो यह भारी मात्रा में ट्रांजैक्शन को संभालने में असमर्थ हो सकता है, जिससे सर्वर डाउन की स्थिति बन जाती है।

5.2. त्योहारी सीजन और विशेष दिनों में बढ़ता लोड

त्योहारी सीजन, सेल, सैलरी के दिन या सरकारी स्कीम्स के लागू होने के समय बैंकों के सर्वर पर अचानक से ट्रांजैक्शन लोड बढ़ जाता है। इस बढ़ते लोड को संभालने के लिए यदि बैंक के पास पर्याप्त सर्वर क्षमता नहीं है, तो यह सिस्टम को ओवरलोड कर सकता है और सर्वर डाउन हो सकता है।

6. बैंकिंग एप्लिकेशन और सॉफ्टवेयर बग्स

6.1. सॉफ़्टवेयर बग्स

कभी-कभी, बैंकिंग एप्लिकेशन या सॉफ्टवेयर में कोई बग (त्रुटि) होती है, जो सर्वर को ठीक से काम नहीं करने देती। सॉफ्टवेयर अपडेट या पैच के बाद भी नई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें ठीक करने के लिए सिस्टम को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ता है। इससे सर्वर डाउन की स्थिति पैदा हो सकती है।

6.2. अन्य तकनीकी समस्याएं

सर्वर डाउन की समस्याओं का एक और संभावित कारण एप्लिकेशन या सॉफ्टवेयर का अनपेक्षित व्यवहार हो सकता है। यदि कोई एप्लिकेशन ठीक से कोड नहीं किया गया है या किसी सॉफ्टवेयर में कोई गलती है, तो यह सर्वर के कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकता है।

7. भौगोलिक और जलवायु कारण

7.1. प्राकृतिक आपदाएँ

अगर किसी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं, जैसे भूकंप, बाढ़, या तूफान, तो इन घटनाओं से बैंकिंग सर्वर या नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षतिग्रस्त हो सकता है। इससे सर्वर डाउन हो सकता है और बैंकिंग सेवाएँ प्रभावित हो सकती हैं।

7.2. बिजली की कटौती

बिजली की समस्या भी सर्वर डाउन का एक मुख्य कारण हो सकती है। विशेषकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में बिजली की अनियमित आपूर्ति सर्वर पर असर डाल सकती है। यदि बैंक या डाटा सेंटर में पर्याप्त बैकअप पावर उपलब्ध नहीं है, तो यह बैंकिंग सेवाओं को प्रभावित कर सकता है।

8. बैंकों का विकास और संसाधनों की कमी

8.1. बैंकों का तेजी से विकास

कई बैंक तेजी से विस्तार कर रहे हैं, लेकिन उनके सर्वर और तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर को उसी गति से अपग्रेड नहीं किया जाता है। इस असंतुलन के कारण सिस्टम पर लोड बढ़ता है, जिससे सर्वर डाउन की समस्याएं होती हैं।

8.2. तकनीकी स्टाफ की कमी

बैंकिंग संस्थानों में योग्य तकनीकी स्टाफ की कमी भी एक महत्वपूर्ण समस्या हो सकती है। सर्वर डाउन होने की स्थिति में यदि तुरंत सही विशेषज्ञ उपलब्ध न हो, तो समस्या को ठीक करने में अधिक समय लग सकता है।

9. रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देश और कानून

9.1. नए दिशा-निर्देशों का प्रभाव

रिज़र्व बैंक समय-समय पर बैंकों के लिए नए दिशा-निर्देश और नियम जारी करता है। इन नियमों के आधार पर बैंकों को अपने सिस्टम में बदलाव करने पड़ते हैं। कभी-कभी इन बदलावों को लागू करने में समय लगता है, जिससे अस्थायी सर्वर डाउन हो सकता है।

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